Thursday, September 30, 2010

राम सेतू


दिल टूटेगा राम सेतू को मत तोड़ो
राम बसे हैं रोम रोम में ज़िद छोड़ो

जो भी मिलता राम राम ही करता है
बिना राम के पार न कोई उतरता है
सुबह शाम बस राम ज़ुबां पे रहते हैं
राम नाम हैं सत्य सभी ये कहते है
अपनी किस्मत अपने हाथों मत फोड़ो
दिल टूटेगा राम सेतू को मत तोड़ो

कैसा कलयुग राम नाम को जाँच रहे
रामायण को कब से घर घर बाँच रहे
राम नाम को सबने चारों धाम कहा
गांधी ने भी अंत समय हे राम कहा
सिर्फ न कुर्सी माया के पीछे दौड़ो
दिल टूटेगा राम सेतू को मत तोड़ो

मानव निर्मित वैज्ञानिकों ने माना है
क्यों संशय जब नासा ने पहचाना है
खुद पर सेतू सुनामी की मार सहे
भूकम्पों के झटके बारम्बार सहे
नष्ट न हो इतिहास अरे रास्ता मोड़ो
दिल टूटेगा राम सेतू को मत तोड़ो

खड़े तमाशा देख यहाँ सब लोग रहे
चुप रहने की सजा सदा से भोग रहे
हाथ पे हाथ धरे जब तक तुम बैठोगे
सागर दे रस्ता ना, जब तक ऐंठोगे
हो जब अत्याचार न हाथों को जोड़ो
दिल टूटेगा राम सेतू को मत तोड़ो


Tuesday, September 28, 2010

“नेता टेलेंट ट्रेनिंग इन्स्टिट्यूट”

ख़ुशख़बरी ख़ुशख़बरी ख़ुशख़बरी
चाकूबाज़, छुरीबाज़, धोखेबाज़, दग़ाबाज़ अपनी जेबें भ्ररें
अपने अपने क्षेत्र में नेतागिरि करें
खुल गया खुल गया
आपके इलाक़े मे पहली बार “नेता टेलेंट ट्रेनिंग इन्स्टिट्यूट”
हमारे यहाँ गधे घोड़ों को
उचित ट्रेनिंग द्वारा नेता बनाया जाता है
सदन मे शोर करना, माईक व जूता फ़ेकना, बयान बदलना
व कुर्सी पर कब्जा करना सिखाया जाता है
कम से कम पार्षद बनकर समाज मे शान से तनिये
और यदि पारिवारिक पृष्ठभूमि हो तो एम एल ए से एम पी तक बनिये
न्यूनतम आयु इक्कीस वर्ष
तत्पश्चात् किसी भी उम्र में आएँ
और छः महीने में अखिल भारतीय नेता का डिप्लोमा पाएँ
भले ही आप पर हत्या या बलात्कार का इल्ज़ाम हो
जुआघर चलाते हों, या सट्टे का काम हो
बस एक बार सच्चे मन से कीजिये
ईमानदार नेता बनने का प्रण
अनपढ़, गँवार, जाहिल, बदतमीज़ लोगों के लिये विशेष आरक्षण
सभी के लिये ओपन बबलू-बंटी, अंकल-आंटी
नेता बनने के पश्चात् टिकट दिलाने तक की गारंटी
इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाइये
और यदि आप किसी नेता के पुत्र या सम्बन्धी हैं
तो फ़ार्म निशुल्क ले जाइये
सीधे नेता बनिये
किसी के चमचे या दास नहीं
और फ़ीस भी कोई ख़ास नहीं
पद पाने के बाद
हमें भूल मत जाना
पैट्रोल पंप, गैस-एजेंसी
या फिर शराब का ठेका ज़रूर दिलवाना
राजनीति की नस
बस एक बार आ जाए पकड़ाई में
उसके बाद तो पाँचों उंगलियाँ घी में
और सिर कढ़ाई में
ना ही इस काम में आता कभी मंदा है
सच, आजकल अधिकतर नेताओं की राजनीति
सिर्फ़ एक धंधा है
काश! हम अपने देश के नेता
ईमानदारी और सच्चाई की भट्टी में बनाते
और उन्हें
भाईचारे व सद्भावना के कपड़े पहनाते
तो वे देश का सम्पूर्ण विकास कर पाते
और भारत को पुनः विश्वगुरु के पद तक पहुँचाते

KAVI RASIK GUPTA ON PRAGYA CHANNEL 1

KAVI RASIK GUPTA ON PRAGYA CHANNEL 2

LAUGHTER 4

LAUGHTER 3

LAUGHTER 2

Tuesday, September 21, 2010

संयुक्त परिवार

सच पूछो तो जीवन मे बस प्यार ही प्यार था
जब हमारे समाज मे संयुक्त परिवार था
दादा दादी , चाचा चाची,
ताऊ ताई , बहन भाई ,
किसी एक की ख़ुशी मे पूरे परिवार का चेहरा खिलता था
और हर एक बच्चे को कई कई माताओं का प्यार मिलता था
जब घर का कोई सदस्य बीमार हो जाता था
तो पूरा परिवार उसकी सेवा मे लग जाता था
चारों तरफ खुशियाँ ही खुशियाँ नज़र आती थी
और कोई बच्चा रूठ जाये तो दादी कितने प्यार से मानती थी
बच्चो का लड़ना, झगड़ना, फिर एक थाली मे बैठकर खाना
और बहुओं का बारी बारी से मायके मे जाना
पूरा का पूरा परिवार एक ही छत के नीचे पलता था
हँसते खिलखिलाते कब बड़े हो गए पता ही नहीं चलता था
परिवार के सभी सदस्य एक दूसरे के लिए जीते थे
एक दूसरे के लिए मरते थे
और व्यक्ति जितना प्यार पत्नी को
उतना ज्यादा माँ बाप को करते थे
लेकिन आज के एकल परिवार मे
पिता रात को काम से आते हैं
और उनके आने से पहले
बच्चे खा पी कर सो जाते हैं
दोपहर मे बच्चे स्कूल से आकर शाम तक
मम्मी के आफ़िस से आने का करते हैं इंतजार
बच्चे नहीं जानते क्या होता है दादा दादी का प्यार
बच्चे नहीं जानते चाचा चाची का दुलार
काश बच्चो को फिर मिल जाये वो मजबूत आधार
काश बच्चो को फिर मिल जाये सयुंक्त परिवार
सयुंक्त परिवार , सयुंक्त परिवार !