Tuesday, August 11, 2009

रिटायर्मेन्ट

हमारे एक मित्र ने हमें पार्टी पर बुलाया,
पार्टी कारण अपना रिटायर्मेन्ट बताया,
तुरंत हमारे दिमाग में एक कीड़ा कुलबुलाया,
नौकरी करके आप वर्षो तक सभी सुख सुविधाएं तजते रहे,
पर क्या कर्म को, आज तक अपनी, सिर्फ मजबूरी समझते रहे,
कि जिसकी समाप्ति पर नाचें कूदें जश्न मनाएं,
ढेर सारा पैसा मिला उसे फिजूलखर्ची में उड़ांए,

आज तक ये किसी ने नही कहा होगा,
मुझसे हुए रिक्त स्थान को मत भरो,
तनख्वाह से रिटायर भले ही कर दो
काम से रिटायर मत करो,

काम से रिटायर होने का जश्न मनाना,
इस बात का द्योतक है,
हम अपने काम से डर रहे हैं,
हमारे बच्चे, हमारे रिटायर होने की प्रतीक्षा कर रहे है,

कब हम रिटायर हो, उन्हे मिले रिटायर्मेंट के पैसे इस्तेमाल करने का मौका,
फिर एक पार्टी होगी, जश्न होगा, कब तक देते रहेंगे, हम स्वयं को धोका,
क्योकि एक दिन हमारे जीवन में भी आएगा यही मौका ,
चाहे बच्चे की पैदाइश हो अथवा जन्म दिन ,
विवाह की वर्षगांठ या मरण दिन,
इंसान पार्टियों की भीड़ में खो गया है,
पार्टी खुशी का इजहार नहीं, स्टेटस सिंबल हो गया है ॥

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