Saturday, August 8, 2009

रावण

एक बार मै रामलीला कमेटी का प्रेसीडेन्ट बन गया
और रावण का पुतला खरीदने एक दुकान पर जाकर तन गया
मैने उसे रावण खरीदने की फरमाइश बताई
बोला देखने में तो खुद ही रावण लगते हो भाई
मैने कहा जबान संभाल के बात कर
तू क्या कहना चाहता है कि मै
घर की घर में दशहरा मना लूं
रावण जैसा हूं तो खुद को जला लूँ
अरे जब तेरा रावण ही नही बिकेगा तो तू क्या करेगा
इतनी मंहगाई में भूख से तिल—तिल मरेगा
रावण तो कलयुग का सुपरस्टार है
लाखों लोगों को मिलता इससे रोजगार है
देश में हर साल लाखों रावणों में अरबों रुपया फूंका जाता है
लेकिन क्या वास्तव में एक भी रावण मर पाता है
और तू कौन सा राम के वंशज का लगता है
बोल लगता है क्या मेरा तो नाम ही राम भरोसे है
राम भरोसे खाता हूं राम भरोसे गाता हूं
राम भरोसे पीता हूं राम भरोसे जीता हूं
आपकों मेरे नाम की व्याख्या इतनी खल रही है
हमारे देश की तो नैया ही राम भरोसे चल रही है
मैने कहा वाह रे कलयुगी
राम का नाम और रावण बेचने का काम
बोला हम कमाते है इससे दाम
वरना अपना तो जीवन ही हो जाए जाम
मैने कहा वाह रे पेट की आग
तेरे आगे आज सारे ही सिद्धांत सो गये है
क्योंकि आज रावण ही, राम की रोजी रोटी के साधन हो गये है
रावण तो दिन पर दिन बढने वाली एक लम्बी रेखा है
और राम की दुर्गति होते तो आज सारे देश ने देखा है
रामलीलाओं में बड़े से बड़ा रावण बनाने की होड़ लगती है
जितना बड़ा रावण उतनी ही रामलीला बेजोड़ लगती है
रावण का कद उठते उठते 9 फुट से 100 फुट तक बढा है
राम पहले भी 6 फुट का था, और आज भी 6 फुट का ही खड़ा है

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