देश में फैले अंधियारों को अब तो दूर भगाओ,
फिर से अपने भारत में कोई नई क्रान्ति लाओ,
आजादी राजनीति में रह कर लेते रहे मजा,
उनके दुष्कर्मो की जनता भोग रही है आज सजा,
बोए पेड़ बबूल के तो आम कहां से खाओगे,
अब भी जो तुम ना समझे तो बाद में फिर पछताओंगे,
आजादी के सपनों को अब कर साकार दिखाओं,
फिर से अपने भारत में कोई नई क्रान्ति लाओ,
भ्रष्टाचार ने पूरे विश्व में सबसे ऊपर नाम किया,
स्विस बैंक में खाते खुलवाने का ब तक काम किया,
मानव पशु में फर्क नही है जग को ये बतलाने दो,
गऊवो को तुम देते रोटी उनको चारा खाने दो,
फैला भ्रष्टाचार देश में जड़ से इसे मिटाओं,
फिर से अपने भारत में कोई नई क्रान्ति लाओं,
नमक करा के गायब सारा जो मंहगाई लाएंगे,
ऐसे ओछे हथकंडो से सफल नही हो पाएंगें,
खादी स्वेत धारण करते धंधे उनके काले है,
जिनकों अब तक गगा समझा, निकले गंदे नाले है,
समझों जनता, चालों को अब ना धोखा खाओ,
फिर से अपने भारत में कोई नई क्रान्ति लाओ,
वंदे मातरम भारत में है अब जिनको स्वीकार नही
भारत माता उन दुष्टो का ढोएगी अब भार नही
माता तो केवल माता है क्या तेरी क्या मेरी है,
दुष्टो की संगत ने उनकी कैसी बुद्धि फेरी है,
माता जीवनदाता को अंतर्मन से अपनाओ,
फिर से अपने भारत में कोई नई क्रान्ति लाओ ॥
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