Saturday, August 22, 2009

प्रेम

हमारे देश में शादी का मतलब
प्रेम नहीं समझोता है
इसीलिए भारत में तलाक
बहुत कम होता है

हमारे यहाँ प्रेम सिनेमा हाल में दिखाया जाता है
जबकि विदेशो में उसे प्रैक्टिकल रूप में अपनाया जाता है
क्या आप विदेशों में होने वाले
अधिक तलाक़ के कारण को जानते हो
या फिर इसे उनके भाग्य की विडम्बना मानते हो

प्रेम, तलाक का पहला खंड है
हमारे यहाँ अरेंज मैरिज़ है
इसीलिए ये रिश्ता अखंड है
अरेंज यानि एग्रीमेंट
तसल्ली से न की अर्जेंट
तू मेरा घर संभाल
म तेरे गहनों की ज़रूरत पूरी करूँगा
तू मेरे बच्चे पाल
मे तनख्वाह तेरे हाथ पर धरूँगा
विदेशों में -
तू भी कमा, म भी कमाउंगा
तुम नाश्ता तैयार करो
म डिनर पकाउंगा
हम उनकी तरह दिल से नहीं
दिमाग से जीते है
यही फर्क है की वो काकटेल
और हम भ्श का दूध पीते है
कभी किसी ने ये नहीं पढ़ा होगा
की फलां जगह कितने लोगो ने प्रेम किया
लेकिन कितने लोगो का तलाक हुआ
ये प्रथम पृष्ठ पर पड़ता है दिखाई
क्योंकि उनका प्रेम ; प्रेम नहीं वासना है
और वासना होती है अशतही
हम तो केवल प्रभु से प्रेम करना जानते है
और केवल इसी सच्चाई को पहचानते है
जब वे इस वासनिक प्रेम को छोड़
वास्तविकता के धरातल पर आयेंगे
तब जीवन की हर राह में
खुशियाँ ही खुशियाँ पायेंगे

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