Tuesday, August 11, 2009

स्वर्ण जयती

कही कोई विस्फोट ना हो इस डर ने जान निकाली,
हमने कितने प्यार से स्वर्ण जयंती मना ली,

50 वर्षो में देखों हम कितना आगे आ गए,
अपने काले कारनामों से पूरी दुनिया में छा गए,
सबकों पीछे छोड़ा क्या अमरीकी क्या जापानी,
आजादी का मतलब ही होता करना मनमानी ,
स्विस बैंक ने घोटालों से भरी किताब निकाली ,
हमने कितने प्यार से स्वर्ण जयंती मना ली,

आजादी का मतलब है क्या लूट की आजादी,
आजादी का मतलब है क्या झूट की आजादी,
आजादी का मतलब नही है तोड़ दो तुम उसूल,
आजादी यदि ऐसी है तो हमकों नही कबूल,
हर भ्रष्टाचारी ने गंगा मे डुबकी लगा ली,
हमने कितने प्यार से स्वर्ण जयंती मना ली,

कितने चाव से हिन्दुस्तानी क्रिकेट खेल कराते है,
वो चंद सिक्कों की खातिर खुद अपना देश हराते है,
छोड़ दिया है लोगो ने अब राम नाम को जपना,
क्या ऐसे भारत का ही हमने देखा था सपना,
देशभक्ति पैसे के पीछे हो चुकी है खाली,
हमने कितने प्यार से स्वर्ण जयंती मना ली,

याद करो उन वीरों को जो जान पर अपनी खेल गए,
चाहे जीतनी चली गोलियां, सीने पर वो झेल गए,
याद करों उन वीरों को जो सत्य डगर पर अड़े रहे,
आंधी और तुफानों में हमेशा डटकर खड़े रहे,
खाया किसी ने यूरिया, कोई कर रहा जुगाली,
हमने कितने प्यार से स्वर्ण जयंती मना ली,

उतार फैकों अंग्रेजी का कफन जो तुमने ओढा,
फिर से गुलाम बनाएगा हमें ये कैंसर का फोड़ा,
हिन्दी अपना स्वाभिमान कभी, खो नही सकता,
चंद लोगो की भाषा देश की हो नही सकती,
लगता सभ्यता संस्कृति ने अपनी दुकान हटा ली,
हमने कितने प्यार से स्वर्ण जयंती मना ली,

नाम जयंती का लेकर करोड़ो रुपया बर्बाद किया,
लेकिन क्या सच्चे दिल से किसी शहीद को याद किया,
जयंती जयंती चिल्लाना तो ढोंग आडंबर धोखा है,
लाखो करोड़ों कमाने का एक सुनहरा मौका है,
खाकर धन नेताजी ने छाती अपनी तान ली,
हमने कितने प्यार से स्वर्ण जयंती मना ली ॥

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